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मानव – जीवन की सभी गतिविधियों में शिक्षा एक ऐसी गतिविधि है , जिसमें मानव अपने – आप को अलग रूप में देखता है | शिक्षा , अनुशानन और आदर्श चरित्र निर्माण यही मेरा और विद्यालय का का उद्देश्य रहा है | यही कारन है की इस विद्यालय में प्रभारी प्राचार्य के रूप में जनवरी में 2014 में कार्यभाल सम्भलाते ही इस और मेरा अथक प्रयास रहा | साथ ही सभी सुविधाओं से सम्पन एवं जिला में अति महत्वपूर्ण स्थान रखते हुए इस विद्यालय को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने हेतु मेरा अथक प्रयास रहा और यह प्रयास अभी तक जारी है | विद्यालय के सफल संचालन में सहयोगी शिक्षकों , प्रशिक्षकों एवं कर्मचारियों के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूँ , जिनके सहयोग से हम विद्यालय के भिविन्न आयामों का स्पर्श क रहे हैं , क्योंकि मेरा मानना है विद्यालय के प्राण छात्र और शिक्षक होते हैं | छात्र शिक्षक का संबंध ठीक वैसा ही है , जैसे की मिटटी और कुम्हार का | कबीरदास जी ने भी कहा है – ” गुरु कुम्हार सीस कुम्भ है , गढ़ि – गढ़ि काढै खोट | भीतर हाथ सहारा दै , बाहर – बाहर चोट ||
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मानव – जीवन की सभी गतिविधियों में शिक्षा एक ऐसी गतिविधि है , जिसमें मानव अपने – आप को अलग रूप में देखता है | शिक्षा , अनुशानन और आदर्श चरित्र निर्माण यही मेरा और विद्यालय का का उद्देश्य रहा है | यही कारन है की इस विद्यालय में प्रभारी प्राचार्य के रूप में जनवरी में 2014 में कार्यभाल सम्भलाते ही इस और मेरा अथक प्रयास रहा | साथ ही सभी सुविधाओं से सम्पन एवं जिला में अति महत्वपूर्ण स्थान रखते हुए इस विद्यालय को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने हेतु मेरा अथक प्रयास रहा और यह प्रयास अभी तक जारी है | विद्यालय के सफल संचालन में सहयोगी शिक्षकों , प्रशिक्षकों एवं कर्मचारियों के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूँ , जिनके सहयोग से हम विद्यालय के भिविन्न आयामों का स्पर्श क रहे हैं , क्योंकि मेरा मानना है विद्यालय के प्राण छात्र और शिक्षक होते हैं | छात्र शिक्षक का संबंध ठीक वैसा ही है , जैसे की मिटटी और कुम्हार का | कबीरदास जी ने भी कहा है – ” गुरु कुम्हार सीस कुम्भ है , गढ़ि – गढ़ि काढै खोट | भीतर हाथ सहारा दै , बाहर – बाहर चोट ||